The Versatilist

A rhythmic space for Hindi Poetry, Book Reviews and Travel Stories

यारी

खुश तो होगा खुदा हम से
जो किस्मत में कीमती यार लिखे हैं
काफी तो एक दो भी होते
मेरे हिस्से में एक दो कई बार लिखे हैं

कुछ सहारा बने मुश्किल घड़ियों में
कुछ खुशियाँ बुनने आये शनिवार आते हैं
वो भी हैं जो मिले नहीं हैं अरसे से
याद वो बहुत बार आते हैं

कुछ सालों से, तो कुछ दशकों से हैं जानते
मेरी रग रग को पहचानते हैं
कुछ अक्सर किया करते हैं बातें
कुछ बस चुप चाप दुआ दिया करते हैं

कुछ बेवजह दिया करते हैं तोहफे
कुछ गाली दे कर बातें शुरू किया करते हैं
मैं भागता हूँ उनकी ओर मश्वरे के लिए
टांग खींचते हैं और मदद भी किया करते हैं

काश बन पाता मैं उनके जैसा
बेशुमार प्यार जो बिन मांगे दिया करते हैं
नाज़ है मुझे यारों पर अपने जिनकी मिसालें
लोग कहानियों में दिया करते हैं

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