किस पक्ष में हो तुम, वो पूछता ये सवाल है
निष्पक्ष कहो खुद को, फिर भी उठता ये बवाल है
लेबल ले कर घूम रहा है, लगाने को तैयार है
हाँ में हाँ मिलाओ तो दोस्त, वरना दुश्मन बनाने को तैयार है
देश सभी का है, फर्क तो सभी को पड़ता है
सोचने का एक ही तरीका है सही, ये कह कर मुझसे लड़ता है
कभी दोस्त हुआ करता था, आज नफरत का शिकार है
किसी और को क्या दोष दूँ, कौन भला ज़िम्मेदार है
साल, मौसम, महीने बदलना लाज़मी है
आसमान जो छू रहा आज, अगला, ठिकाना उसका ज़मीन है
सियासत के रंग भी बदलेंगे, इतिहास गवाह है
क्या हम तुम ज़िंदा रहेंगे मगर, मुझे देखने की चाह है